केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि सरकार मणिपुर में स्थायी शांति हासिल करने के लिए मीतेई और कुकी समुदायों के बीच विश्वास की खाई को पाटने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद इस प्रक्रिया में तेज़ी लाई जाएगी।
समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि मीतेई और कुकी समुदायों के बीच संघर्ष जातीय है और इसे बल के माध्यम से हल नहीं किया जा सकता। शाह ने टिप्पणी की, “यह दंगों या आतंकवाद का मुद्दा नहीं है। यह जातीय हिंसा का मुद्दा है। इसे बल के माध्यम से हल नहीं किया जा सकता। यह जातीय हिंसा है।” उन्होंने इस बात पर भी टिप्पणी की कि क्या पूर्वोत्तर राज्य में चल रही हिंसा को समाप्त करने के लिए मजबूत सरकारी कार्रवाई की आवश्यकता है।
गृह मंत्री ने कहा कि हिंसा कुछ घटनाओं के कारण दोनों समुदायों के बीच संवाद और विश्वास की कमी से उत्पन्न हुई।
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पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, “हमें इसे दुरुस्त करना होगा। यह समय लेने वाला काम है। हम इस पर तेजी से काम कर रहे थे। लेकिन चुनावों के कारण इसमें देरी हुई है। यह बिल्कुल स्वाभाविक है।”
उन्होंने कहा, “क्योंकि दोनों समुदायों के नेता अपने-अपने समुदाय के हितों या अपने-अपने राजनीतिक मुद्दों की बात कर रहे हैं। लेकिन मतगणना के बाद सरकार इस पर सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ काम करेगी। मेरा मानना है कि भविष्य में कोई हिंसा नहीं होगी।”
मणिपुर हिंसा
मणिपुर में 3 मई, 2023 को जातीय हिंसा भड़क उठी थी, जब बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला गया था। तब से लेकर अब तक दोनों समुदायों के 220 से ज़्यादा लोग और सुरक्षाकर्मी मारे जा चुके हैं।