पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भक्त चरण दास ने विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद ओडिशा कांग्रेस अभियान समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। ओडिशा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 147 में से 14 सीटें जीतीं, जबकि लोकसभा चुनाव में उसे 21 में से सिर्फ एक सीट मिली।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार दास ने कहा कि वह राज्य में विधानसभा और संसदीय चुनावों में पार्टी की अपेक्षित संख्या में सीटें न मिलने की नैतिक जिम्मेदारी लेते हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को संबोधित अपने त्यागपत्र में दास ने कहा, “मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए कड़ी मेहनत की, लेकिन दुर्भाग्य से हम उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए। हम चुनाव के दौरान माननीय कांग्रेस अध्यक्ष, पूर्व अध्यक्ष श्री राहुल गांधी जी और एआईसीसी के अन्य वरिष्ठ नेताओं से मिले समर्थन और सहयोग की वास्तव में सराहना करते हैं।”
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उन्होंने कहा, “मैं ओडिशा में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अपेक्षित संख्या में सीटें हासिल करने में विफलता की नैतिक जिम्मेदारी लेता हूं।”
उन्होंने यह भी कहा कि चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पर एक विस्तृत रिपोर्ट बाद में आलाकमान के अवलोकन के लिए प्रस्तुत की जाएगी।
कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनावों में मामूली सुधार दिखाया और 2014 में अपनी सीटों की संख्या 9 से बढ़ाकर इस साल 14 कर ली। लोकसभा चुनावों में पार्टी सिर्फ़ कोरापुट सीट ही बचा पाई, जिसे उसने 2019 में जीता था।
दास ने कहा कि उनकी अभियान रणनीति “अधिक आक्रामक” होनी चाहिए थी।
दास ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, “हम इस बार बड़े पैमाने पर अभियान शुरू करने में विफल रहे। हम राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की केवल दो चुनावी रैलियां आयोजित करने में सफल रहे। हमारी अभियान रणनीति अधिक आक्रामक होनी चाहिए थी। अभियान समिति के अध्यक्ष के रूप में, विफलता का दोष मुझ पर और मेरे पद पर है।”