हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में बमुश्किल एक महीने का समय बचा है, ऐसे में भाजपा के सामने एक बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। राज्य के बिजली मंत्री चौधरी रणजीत सिंह चौटाला का रानिया विधानसभा सीट से किसी भी तरह से चुनाव लड़ने का संकल्प भाजपा के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकता है। भाजपा के एनडीए सहयोगी गोपाल कांडा के नेतृत्व वाली हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) ने पिछले सप्ताह रानिया विधानसभा सीट के लिए उम्मीदवार की घोषणा की थी, लेकिन रणजीत सिंह चौटाला के इस फैसले से चुनाव से पहले एनडीए की संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है।
हरियाणा चुनाव: रणजीत सिंह चौटाला का फैसला भाजपा के लिए सिरदर्द क्यों है?
कांग्रेस के पूर्व विधायक गोपाल कांडा ने 2014 में एचएलपी का गठन किया था। गोपाल कांडा के भाई गोविंद भाजपा में शामिल हो गए और ऐलनाबाद उपचुनाव में हार गए। वे एचएलपी के पूर्व सहयोगी इनेलो के अभय चौटाला से हार गए। गोविंद कांडा 2019 में रानिया सीट से रणजीत सिंह चौटाला से हार गए थे, जो उस समय निर्दलीय थे।
इस बीच, रणजीत सिंह चौटाला ने रानिया विधानसभा सीट छोड़कर हिसार से लोकसभा में प्रवेश करने का फैसला किया। हालांकि, वे कांग्रेस के जय प्रकाश से हार गए।
इस बार एचएलपी ने गोविंद कांडा के बेटे धवल को रानिया विधानसभा सीट से पार्टी का उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया है। हालांकि, सोमवार को पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के बेटे रणजीत सिंह चौटाला ने घोषणा की कि वे रानिया सीट से चुनाव लड़ेंगे। चौधरी रणजीत सिंह चौटाला ने कहा, “अगर भाजपा मुझे रानिया से टिकट देती है तो ठीक है, नहीं तो पार्टी अपना ख्याल रखे। मैं रानिया से चुनाव जरूर लड़ूंगा और जीतूंगा भी। मैं चौधरी देवीलाल का बेटा हूं। प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों पर मेरा अपना जनाधार है।”
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और एचएलपी ने अभी तक सीट बंटवारे के फार्मूले पर आधिकारिक रूप से फैसला नहीं किया है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में रणजीत चौटाला की संभावनाएं
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के भाई रणजीत सिंह चौटाला की जाटों पर अच्छी पकड़ है, जो हरियाणा की आबादी का लगभग 27% हिस्सा हैं। हालांकि उन्हें अपनी रानिया सीट बरकरार रखने का भरोसा है, लेकिन भाजपा और आरएसएस द्वारा किए गए जमीनी सर्वेक्षणों के अनुसार हिसार से लोकसभा में प्रवेश करने का उनका फैसला मतदाताओं को पसंद नहीं आया, टाइम्स ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट किया।
हालांकि चौटाला ने कांग्रेस के लिए भी दरवाजे खुले रखे हैं, बशर्ते भाजपा सहयोगी एचएलपी के पक्ष में झुकने का फैसला करे। कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा से हाथ मिलाने के सवाल पर चौटाला ने सोमवार को कहा, “यह समय की बात है, राजनीति में समय बदलता रहता है।” हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह भाजपा में हैं और वहीं रहेंगे। उन्होंने कहा कि रानिया विधानसभा सीट से भाजपा से किसे टिकट मिलेगा, इसका फैसला हाईकमान करेगा।
चौटाला ने कहा, “गोपाल कांडा ने न तो विकास कार्यों में योगदान दिया है और न ही विधानसभा सत्र में। अगर भाजपा को सरकार बनानी है तो पार्टी को जिताऊ उम्मीदवार की जरूरत है।”
लोकसभा चुनाव से पहले रणजीत चौटाला की ‘ब्राह्मण’ टिप्पणी
इस साल की शुरुआत में लोकसभा चुनाव से पहले चौटाला भाजपा में शामिल हो गए और उन्हें हिसार से पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया गया। चौटाला ने दंगों और जाति व्यवस्था के लिए ब्राह्मण समुदाय को दोषी ठहराकर खुद को ब्राह्मणों के बीच अलोकप्रिय बना लिया था। उनकी टिप्पणी की एक क्लिप वायरल होने के बाद उन्हें भारी आलोचना का सामना करना पड़ा।
बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने यह टिप्पणी सामान्य तरीके से की थी और उनका किसी समुदाय को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि ब्राह्मण समुदाय के प्रति उनके मन में गहरा सम्मान है।
रानिया सीट को लेकर ताजा विवाद अब हरियाणा विधानसभा चुनाव खत्म होने तक भाजपा की नींद उड़ा सकता है।
हरियाणा में एक ही चरण में एक अक्टूबर को मतदान होगा। मतों की गिनती 4 अक्टूबर को होगी।